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आज के इस लेख में, हम आपको स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर: दिल्ली के बारे में 10 ऐसी बातें बताएंगे, जिन्हें जानना आपके लिए बेहद जरूरी है। ये बातें आपको इस दिव्य रत्न को और भी गहराई से समझने में मदद करेंगी। तो चलिए शुरू करते हैं इस आध्यात्मिक सफर को!
स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर: दिल्ली का इतिहास, परंपरा और आधुनिकता का संगम
प्रेरणा का स्रोत: शाश्वत अक्षरधाम की परिकल्पना
स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर की कहानी इसकी प्रेरणा से शुरू होती है। भगवान स्वामीनारायण (1781-1830), जिन्हें उनके अनुयायी सर्वोच्च भगवान के रूप में मानते हैं, ने अपने अनुयायियों को आध्यात्मिक धाम “अक्षरधाम” के बारे में बताया था। माना जाता है कि अक्षरधाम भगवान विष्णु का शाश्वत निवास स्थान है, जहां आत्माएं मोक्ष प्राप्त करती हैं।
योगीजी महाराज का सपना: मंदिर निर्माण की शुरुआत
भगवान स्वामीनारायण के उत्तराधिकारी, योगीजी महाराज (1892-1971) ने इस दिव्य धाम को पृथ्वी पर लाने का सपना देखा। उन्होंने एक ऐसे मंदिर के निर्माण का दृष्टिकोण रखा, जो न केवल भगवान स्वामीनारायण को श्रद्धांजलि दे, बल्कि भारतीय संस्कृति और मूल्यों का भी उत्सव मनाए।
परम पूज्य महंत स्वामी प्रमुखाचार्य महाराज: दृष्टि का साकार रूप
योगीजी महाराज के उत्तराधिकारी, परम पूज्य महंत स्वामी प्रमुखाचार्य महाराज (1921-2016) ने इस सपने को साकार करने का बीड़ा उठाया। उन्होंने वर्ष 2000 में मंदिर निर्माण की योजना को मंजूरी दी और हजारों स्वयंसेवकों और कारीगरों के अथक प्रयासों से 5 साल के अल्प समय में ही इस भव्य मंदिर का निर्माण हुआ।
स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर की वास्तुकला: शिल्पकला का अद्भुत प्रदर्शन
स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है। ये मंदिर पूर्णतः राजस्थानी गुलाबी बलुआ पत्थर और इटली के कैरारा संगमरमर से निर्मित है। इसकी वास्तुकला भारतीय मंदिर शैली का अनुसरण करती है, लेकिन इसमें जैन और मुगल वास्तुकला के तत्व भी शामिल हैं।
केंद्रीय मंदिर: परंपरा का गौरव
मंदिर परिसर का केंद्रबिंदू केंद्रीय मंदिर है, जिसे हवेली के नाम से भी जाना जाता है।ये मंदिर गुजराती शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इसमें नौ मंजिलें हैं, जो विभिन्न हिंदू देवी-देवताओं और संतों को समर्पित हैं। मंदिर के शिखर पर 141 फुट ऊंचा एक विशाल ध्वज लहराता है, जो मंदिर की भव्यता को और भी बढ़ा देता है।
मूर्तिकला और शिल्पकला का संगम
पूरे मंदिर परिसर में जटिल मूर्तिकला और शिल्पकारी का काम देखने को मिलता है। हजारों हाथों से तराशी गईं ये कलाकृतियां भारतीय पौराणिक कथाओं, ऐतिहासिक घटनाओं और सामाजिक मूल्यों को दर्शाती हैं।
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दिलचस्प बात ये है कि मंदिर निर्माण में लोहे की एक कील तक का इस्तेमाल नहीं किया गया है। इसके स्थान पर, पारंपरिक भारतीय शिल्प निर्माण तकनीकों का उपयोग करके पत्थरों को जोड़ा गया है।
जाली का जादू
अधिक जानें: वाराणसी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के 7 अद्भुत रहस्य।: स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर: दिल्ली का दिव्य रत्न,10 बातें जो आपको जरूर जाननी चाहिएमंदिर की खिड़कियों और दरवाजों पर जाली का काम बेहद खूबसूरत है। जाली जटिल ज्यामितीय पैटर्न वाली जालीदार पत्थर की स्क्रीन होती है, जो प्राकृतिक प्रकाश को अंदर आने देती है, साथ ही गर्मी को भी कम करती है। ये जाली न केवल सौंदर्य का प्रतीक हैं, बल्कि वास्तुकला की एक महत्वपूर्ण तकनीक भी हैं।
मूर्तियों और कलाकृतियों की कहानियां: अतीत का दर्शन
अक्षरधाम मंदिर की असली खूबसूरती इसकी मूर्तियों और कलाकृतियों में छिपी हुई है। ये कलाकृतियां न सिर्फ आकर्षक हैं, बल्कि ये भारतीय इतिहास, संस्कृति और दर्शन को भी दर्शाती हैं।
वैदिक काल से स्वतंत्रता संग्राम तक का सफर
केंद्रीय मंदिर के बाहरी हिस्से में 20,000 से अधिक मूर्तियां हैं, जो भारत के इतिहास की एक कालानुक्रमिक झलक प्रस्तुत करती हैं। ये मूर्तियां वैदिक काल से लेकर स्वतंत्रता संग्राम तक के विभिन्न युगों के प्रमुख व्यक्तित्वों, घटनाओं और सामाजिक जीवन को दर्शाती हैं।
यहां आपको ऋषि-मुनियों, राजाओं-महाराजाओं, वैज्ञानिकों, कवियों, कलाकारों और समाज सुधारकों की मूर्तियां देखने को मिलेंगी। ये मूर्तियां हमें भारत की समृद्ध विरासत और विविधता का अहसास कराती हैं।
उपदेशों और संदेशों का चित्रण
मंदिर के विभिन्न भागों में भगवान स्वामीनारायण के उपदेशों और संतों के संदेशों को दर्शाती हुई कलाकृतियां भी बनी हुई हैं। ये कलाकृतियां हमें सत्य, अहिंसा, धर्म, कर्म और मोक्ष जैसे मूल्यों का पालन करने के लिए प्रेरित करती हैं।
प्रदर्शनी हॉल: इतिहास और संस्कृति का भंडार
अक्षरधाम मंदिर परिसर में तीन प्रदर्शनी हॉल हैं, जहां आधुनिक तकनीक और कलात्मक प्रदर्शनों के माध्यम से भारतीय संस्कृति और इतिहास को दर्शाया गया है।
सहज आनंद दर्शन :
पहला प्रदर्शनी हॉल, “सहज आनंद दर्शन”, भगवान स्वामीनारायण के जीवन और दर्शन पर आधारित है। यहां आप एनिमेट्रॉनिक मूर्तियों, लघु फिल्मों और इंटरैक्टिव डिस्प्ले के माध्यम से भगवान स्वामीनारायण के जीवन की प्रमुख घटनाओं और उनके उपदेशों को जान सकते हैं।
योगी हवेली
दूसरा प्रदर्शनी हॉल, “योगी हवेली”, स्वामीनारायण संप्रदाय के दूसरे आध्यात्मिक गुरु, योगीजी महाराज के जीवन और कार्यों को समर्पित है। यहां आप उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे समाज सेवा, शिक्षा और आध्यात्मिक प्रचार के बारे में जान सकते हैं।
चक्रव्यूह
तीसरा प्रदर्शनी हॉल, “चक्रव्यूह”, भारत की प्राचीन संस्कृति और विरासत को दर्शाता है। यहां आप वैदिक काल से लेकर मुगल काल तक की कलाकृतियों, शास्त्रों और आविष्कारों को देख सकते हैं। साथ ही, यहां आपको भारत के विभिन्न धर्मों और संप्रदायों के बारे में भी जानकारी मिलती है।
अभिषेक मंडप: आत्मिक शांति का अनुभव
अभिषेक मंडप मंदिर परिसर का एक शांत और पवित्र स्थान है। यहां आगंतुक भगवान स्वामीनारायण और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियों के सामने पूजा-अर्चना कर सकते हैं। मंडप में शांत वातावरण और मंत्रो का उच्चारण आत्मिक शांति का अनुभव कराता है।
स सहस्त्रनाम स्तंभ: 1008 नामों का वैभव
मंदिर परिसर के केंद्र में स्थित स सहस्त्रनाम स्तंभ, 108 फुट ऊंचा एक विशाल स्तंभ है। इस स्तंभ पर भगवान विष्णु के 1008 नामों को सुंदर अक्षरों में लिखा गया है। माना जाता है कि इन नामों का जप करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
गायत्री तीर्थ: पवित्रता का स्रोत
मंदिर परिसर के दक्षिण भाग में स्थित गायत्री तीर्थ एक कृत्रिम झील है। इस झील का पानी पवित्र माना जाता है और आगंतुक यहां स्नान करके आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। झील के किनारे बैठकर मन को शांति प्रदान करना भी एक सुखद अनुभव होता है।
सत्संग हॉल: ज्ञान और भक्ति का संगम
मंदिर परिसर में स्थित सत्संग हॉल एक विशाल हॉल है, जहां नियमित रूप से प्रवचन, भजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यहां आगंतुक आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं और भक्तिमय वातावरण का अनुभव कर सकते हैं।
स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर का सांस्कृतिक नाव की सवारी: प्राचीन भारत की यात्रा
स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर में एक अनूठी गतिविधि है – सांस्कृतिक नाव की सवारी। ये नाव की सवारी आपको प्राचीन भारत की यात्रा पर ले जाती है।
यात्रा का प्रारंभ
नाव की सवारी एक सुरंग से शुरू होती है, जहां दीवारों पर प्राचीन भारत के शहरों, गांवों और जंगलों को दर्शाती हुई कलाकृतियां बनी हुई हैं। इसके बाद, आप नदी में प्रवेश करते हैं, जहां आप विभिन्न गतिविधियों में लगे हुए लोगों को देख सकते हैं, जैसे कि किसान खेती कर रहे हैं, व्यापारी सामान बेच रहे हैं और बच्चे खेल रहे हैं।
इतिहास और संस्कृति का साक्षात्कार
नाव की सवारी के दौरान, आप प्राचीन भारत के विभिन्न पहलुओं को देख पाएंगे, जैसे कि:
- मंदिरों और महलों का निर्माण: आप कारीगरों को मंदिरों और महलों का निर्माण करते हुए देख सकते हैं। ये दृश्य आपको उस समय की शिल्पकला और वास्तुकला की जानकारी देते हैं।
- धार्मिक अनुष्ठान: आप विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों को होते हुए देख सकते हैं, जैसे कि यज्ञ और पूजा-पाठ। इससे आपको भारत की धार्मिक परंपराओं की समझ मिलती है।
- लोक कला और नृत्य: आप लोक कलाकारों को नृत्य और संगीत का प्रदर्शन करते हुए देख सकते हैं। ये दृश्य भारत की समृद्ध लोक संस्कृति की झलक दिखाते हैं।
आधुनिक तकनीक का जादू
नाव की सवारी के दौरान आधुनिक तकनीक का भी भरपूर उपयोग किया गया है। एनिमेट्रॉनिक मूर्तियों, ध्वनि प्रभावों और लेजर लाइट्स के माध्यम से प्राचीन भारत को जीवंत रूप से दर्शाया गया है। इससे यात्रा का अनुभव और भी रोमांचक बन जाता है।
स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर का म्यूजिकल फाउंटेन शो: संगीत और जल का संगम
स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर में होने वाली एक और खास गतिविधि है म्यूजिकल फाउंटेन शो। ये शो शाम के समय होता है और इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
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आकर्षक दृश्य और मनमोहक संगीत
शो के दौरान, फव्वारों से पानी ऊपर की ओर उछलता है और विभिन्न आकार बनाता है। लेजर लाइट्स इन फव्वारों को रोशन करती हैं, जिससे एक आकर्षक दृश्य बनता है। साथ ही, शो के दौरान भारतीय शास्त्रीय संगीत और भक्ति गीत बजते हैं, जो वातावरण को और भी मनमोहक बना देते हैं।
कहानी का बयान
म्यूजिकल फाउंटेन शो के दौरान, पानी और रोशनी के माध्यम से एक कहानी भी बताई जाती है। ये कहानी आमतौर पर भारतीय संस्कृति और धर्म से जुड़ी होती है। कहानी को संगीत से जोड़कर पेश किया जाता है, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता है।
मंदिर परिसर में भोजन
स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर परिसर में एक विशाल फूड कोर्ट है, जिसे “प्रेमवती अहारगृह” के नाम से जाना जाता है। यहां आपको शाकाहारी भोजन की एक विस्तृत श्रृंखला मिलती है, जिसमें गुजराती, दक्षिण भारतीय, उत्तर भारतीय और पश्चिमी व्यंजन शामिल हैं। भोजन स्वच्छ और स्वादिष्ट होता है।
मंदिर में खरीदारी
मंदिर परिसर में एक दुकान भी है, जहां आप स्वामी नारायण संप्रदाय से जुड़ी विभिन्न वस्तुएं खरीद सकते हैं। इन वस्तुओं में शामिल हैं:
हस्तशिल्प और स्मृति चिन्ह: आप यहां पारंपरिक भारतीय हस्तशिल्प, कपड़े और अन्य स्मृति चिन्ह खरीद सकते हैं। ये वस्तुएं आपके प्रियजनों के लिए उपहार के रूप में भी उपयुक्त हैं।
धार्मिक मूर्तियां: भगवान स्वामीनारायण, अन्य हिंदू देवी-देवताओं और संतों की मूर्तियों को आप यहां खरीद सकते हैं। ये मूर्तियां पूजा के लिए या घर की सजावट के लिए उपयुक्त हैं।
पवित्र वस्तुएं: आप यहां माला, रुद्राक्ष, चंदन और अन्य धार्मिक पूजा सामग्री खरीद सकते हैं।
पुस्तकें और संगीत: स्वामी नारायण संप्रदाय के दर्शन, इतिहास और संस्कृति से जुड़ी पुस्तकें और भक्ति संगीत की सीडी/डीवीडी यहां उपलब्ध हैं।
स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर तक कैसे पहुंचें
स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर दिल्ली के नोएडा जिले में स्थित है। आप यहां विभिन्न माध्यमों से पहुंच सकते हैं:
- मेट्रो रेल: मंदिर के सबसे नजदीकी मेट्रो स्टेशन “आक्षरधाम” है। स्टेशन से मंदिर तक पहुंचने के लिए आप रिक्शा या ई-रिक्शा ले सकते हैं।
- टैक्सी: आप दिल्ली के किसी भी स्थान से टैक्सी लेकर स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर पहुंच सकते हैं।
- बस: दिल्ली परिवहन निगम (DTC) की बसें भी मंदिर परिसर के पास रुकती हैं। आप बस स्टॉप से थोड़ा पैदल चलकर मंदिर पहुंच सकते हैं।
- निजी वाहन: आप अपने निजी वाहन से भी मंदिर तक पहुंच सकते हैं। मंदिर परिसर में कार पार्किंग की सुविधा उपलब्ध है।
मंदिर में प्रवेश शुल्क
स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर में प्रवेश निःशुल्क है। हालांकि, प्रदर्शनी हॉल और सांस्कृतिक नाव की सवारी के लिए आपको टिकट खरीदना पड़ता है। टिकटों की कीमतें इस प्रकार हैं:
- प्रदर्शनी हॉल: वयस्क – ₹150, बच्चे (3 से 12 वर्ष) – ₹80
- सांस्कृतिक नाव की सवारी: वयस्क – ₹180, बच्चे (3 से 12 वर्ष) – ₹100
मंदिर में घूमने का समय
स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर सुबह 9:30 बजे से शाम 6:30 बजे तक खुला रहता है। हालांकि, प्रदर्शनी हॉल और सांस्कृतिक नाव की सवारी का समय थोड़ा अलग हो सकता है।
स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर में क्या पहनें
स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर एक धार्मिक स्थल है। इसलिए, यहां आते समय शालीन कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है। बहुत छोटे कपड़े, फटी हुई जींस या बिना आस्तीन के कपड़े पहनकर मंदिर में प्रवेश न करें। पुरुषों को धोती-कुर्ता या पैंट-शर्ट पहनना उचित रहता है, जबकि महिलाओं को साड़ी, सलवार कमीज या घुटने तक ढकने वाली स्कर्ट पहन सकती हैं।
मंदिर में क्या करें और क्या न करें
- जूते और चप्पल बाहर निकाल दें: मंदिर परिसर में प्रवेश करने से पहले अपने जूते और चप्पल बाहर निकाल कर लॉकर में रख दें।
- मोबाइल फोन बंद रखें: मंदिर परिसर में मोबाइल फोन बंद रखें या साइलेंट मोड पर रखें। बातचीत करने के लिए मंदिर परिसर से बाहर निकलें।
- फोटोग्राफी मना है : मंदिर के गर्भगृह और कुछ प्रदर्शनी हॉल में फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है। निर्देशों का पालन करें और केवल अनुमत स्थानों पर ही तस्वीरें लें।
- शांत रहें: मंदिर एक पवित्र स्थान है, इसलिए यहां शांत रहें और दूसरों की प्रार्थना में बाधा न डालें।
- प्रदर्शन न करें: मंदिर परिसर में जोर-जोर से गाना, नाचना या अन्य प्रकार का प्रदर्शन न करें।
- दान करें : यदि आप चाहें तो मंदिर में दान कर सकते हैं। दान का प्रयोग मंदिर के रख-रखाव और सामाजिक कार्यों में किया जाता है।
स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर के आसपास घूमने के लिए अन्य स्थान
स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर घूमने के बाद आप आसपास के अन्य स्थानों पर भी जा सकते हैं। इनमें से कुछ स्थान हैं:
- अक्षरधाम Heritage Centre: यह केंद्र स्वामीनारायण संप्रदाय के इतिहास और विरासत को दर्शाता है। यहां आप संप्रदाय के संस्थापकों और उनके कार्यों के बारे में जान सकते हैं।
- संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान (Sanjay Gandhi National Park): यह राष्ट्रीय उद्यान दिल्ली के बीचों बीच स्थित एक हरा-भरा क्षेत्र है। यहां आप जंगल सफारी का आनंद ले सकते हैं और वन्यजीवों को देख सकते हैं।
- बोट क्लब (Boat Club): यह क्लब यमुना नदी के तट पर स्थित है। यहां आप बोटिंग का आनंद ले सकते हैं या नदी के किनारे पिकनिक मना सकते हैं।
- इंडिया गेट (India Gate): यह एक युद्ध स्मारक है, जो दिल्ली के केंद्र में स्थित है। आप यहां घूमने के साथ-साथ इतिहास के बारे में भी जान सकते हैं।
स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर में रहने की व्यवस्था
स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर के पास ही कई होटल और गेस्टहाउस उपलब्ध हैं। आप अपनी बजट के अनुसार होटल चुन सकते हैं। मंदिर परिसर में भी कुछ कमरों की व्यवस्था है, लेकिन इन कमरों के लिए पहले से ही बुकिंग करा लेनी होती है।
स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर में आयोजित होने वाले कार्यक्रम
स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर में साल भर विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इनमें से कुछ कार्यक्रम हैं:
- राम नवमी: भगवान राम के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
- कृष्ण जन्माष्टमी: भगवान कृष्ण के जन्मदिन के उपलक्ष्य में यहां भजन-कीर्तन और राधा-कृष्ण की झांकियां सजाई जाती हैं।
- स्वामी नारायण जयंती: स्वामी नारायण के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मंदिर में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
- अन्नकूट महोत्सव: इस उत्सव के दौरान मंदिर में विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है और प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।
स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य
स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य ये हैं:
- निर्माण में लोहे का न होना: पूरे मंदिर परिसर के निर्माण में एक भी लोहे की कील का इस्तेमाल नहीं किया गया है। पत्थरों को जोड़ने के लिए पारंपरिक भारतीय शिल्प निर्माण तकनीकों का उपयोग किया गया है।
- 11,000 कारीगरों और स्वयंसेवकों का योगदान: इस भव्य मंदिर के निर्माण में 11,000 से अधिक कारीगरों और स्वयंसेवकों ने 5 साल से भी अधिक समय तक काम किया।
- विश्व की सबसे बड़ी हिंदू मूर्ति संग्रहों में से एक : अक्षरधाम मंदिर में 20,000 से अधिक मूर्तियां हैं, जो भारतीय इतिहास, पौराणिक कथाओं और धर्मगुरुओं को दर्शाती हैं।
- पर्यावरण के अनुकूल डिजाइन: मंदिर परिसर को पर्यावरण के अनुकूल तरीके से डिजाइन किया गया है। सौर ऊर्जा का उपयोग किया जाता है और वर्षा जल संचयन प्रणाली भी स्थापित है।
- अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार: अपनी शानदार वास्तुकला और सांस्कृतिक प्रदर्शनों के लिए स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर को कई अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
मुझे उम्मीद है कि स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर के बारे में यह जानकारी आपके लिए उपयोगी रही होगी। यह मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि भारतीय कला, संस्कृति और इतिहास का एक अद्भुत प्रदर्शन भी है।
क्या आपने अक्षरधाम मंदिर का दौरा किया है? अपनी यात्रा का अनुभव हमारे साथ साझा करें!
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स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर में क्या-क्या देखने-करने को है?
स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर एक विशाल परिसर है, जिसमें कई दर्शनीय स्थल हैं। इनमें से कुछ प्रमुख स्थान हैं:
मुख्य मंदिर: यह मंदिर भगवान स्वामीनारायण को समर्पित है। मंदिर की वास्तुकला और कलाकृतियां अत्यंत मनोरम हैं।
प्रदर्शनी हॉल: यहां आपको स्वामीनारायण संप्रदाय के इतिहास, दर्शन और संस्कृति से जुड़ी जानकारी मिलेगी।
सांस्कृतिक नाव की सवारी: यह नाव की सवारी आपको प्राचीन भारत की यात्रा पर ले जाती है।
म्यूजिकल फाउंटेन शो: यह शो शाम के समय होता है और यह बहुत ही मनोरंजक होता है।
फूड कोर्ट: यहां आपको शाकाहारी भोजन की एक विस्तृत श्रृंखला मिलेगी।
दुकानें: यहां आप धार्मिक वस्तुएं, हस्तशिल्प और स्मृति चिन्ह खरीद सकते हैं।
मंदिर में खाने-पीने की क्या व्यवस्था है?
मंदिर परिसर में एक विशाल फूड कोर्ट है, जिसे “प्रेमवती अहारगृह” के नाम से जाना जाता है। यहां आपको शाकाहारी भोजन की एक विस्तृत श्रृंखला मिलेगी। भोजन स्वच्छ और स्वादिष्ट होता है।
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