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राजस्थान, वीरता की कहानियों और राजसी भव्यता का पर्याय, अपने शानदार किलों के लिए जाना जाता है। इन किलों में से एक रत्न है जैसलमेर का 800 साल पुराना किला, जो थार रेगिस्तान के बीचों बीच स्थित है। “सोनार का किला” (The Golden City) के उपनाम से विख्यात जैसलमेर अपने सुनहरे रंग के बलुआ पत्थर से निर्मित भवनों के कारण इस नाम से जाना जाता है। जैसलमेर का किला ना केवल शहर का ऐतिहासिक केंद्र है, बल्कि जीवंत संस्कृति का भी प्रतीक है। आइए, हम इस भव्य किले की यात्रा करें और इसके समृद्ध इतिहास, अद्भुत वास्तुकला और आकर्षक अनुभवों को explore करें।
जैसलमेर का संक्षिप्त परिचय
जैसलमेर, थार रेगिस्तान के मीलों दूर फैले सुनहरे रेत के बीच एक नखलिस्तान की तरह स्थित है। इसका इतिहास 12वीं शताब्दी का है, जब रावल जैसल ने इस शहर की स्थापना की थी। जैसलमेर रेशम व्यापार मार्ग पर एक महत्वपूर्ण पड़ाव था, जिसने इसे समृद्धि और सांस्कृतिक विनिमय का केंद्र बना दिया। जैसलमेर की भौगोलिक स्थिति ने इसे आक्रमणों से बचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यही कारण है कि यह शहर अपने किलों और परंपराओं को इतनी अच्छी तरह से संरक्षित करने में सक्षम रहा है।
“सोनार का किला” उपनाम (Nicknamed “The Golden City”)
जैसलमेर को “सोनार का किला” (The Golden City) के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यहाँ के भवन थार रेगिस्तान की तेज धूप में चमकते हुए सुनहरे रंग के दिखाई देते हैं। यह प्रभाव बलुआ पत्थर से निर्मित भवनों के कारण होता है, जो सूर्य के प्रकाश के अनुसार अपना रंग बदलता रहता है।
सुबह के समय, किला गुलाबी रंग का दिखाई देता है, जो धीरे-धीरे दिन के समय गहरा होता हुआ सुनहरा हो जाता है। शाम ढलने पर, किला एक बार फिर गुलाबी रंग का हो जाता है, जो सूर्यास्त के बाद आसमान के रंगों को दर्शाता है। यह रंगीन तमाशा पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है और जैसलमेर को रेगिस्तान के सुनहरे शहर का उपनाम दिलाता है।
थार रेगिस्तान का प्रवेश द्वार
जैसलमेर को अक्सर थार रेगिस्तान के प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता है। यह रेगिस्तान भारत और पाकिस्तान में फैला हुआ है, और जैसलमेर उसका भारतीय भाग देखने के लिए एक आदर्श प्रारंभिक बिंदु है। रेगिस्तान की सुनहरी रेत के टीलों के बीच ऊंट सफारी करना, सांझ के समय रेगिस्तान के शांत वातावरण का आनंद लेना और तारों से जगमगाते आकाश को निहारना जैसलमेर आने वाले पर्यटकों के लिए अविस्मरणीय अनुभव होते हैं।
जैसलमेर का 800 साल पुराना किला: जीवंत इतिहास का प्रतीक
जैसलमेर किला, जिसे “सोनार का किला” (The Golden City) का मुकुट मणि कहा जाता है, शहर के ऊपर म sooo (लगभग 200 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। इसका निर्माण 1156 ईस्वी में रावल जैसल द्वारा करवाया गया था। किंवदंती के अनुसार, रावल जैसल को इस स्थान पर स्वप्न में भविष्यवाणी मिली थी कि वह मेरु तύण (Meru Tyn) पहाड़ी पर एक शानदार शहर का निर्माण करेगा। यह पहाड़ी उस समय तक निर्जन थी। रावल जैसल ने एक जैन साधु की सलाह पर इस पहाड़ी को खरीद लिया और उस पर किले का निर्माण शुरू करवाया।
860 साल का गौरवशाली इतिहास
जैसलमेर का किला अपने 860 साल से भी अधिक पुराने इतिहास का गवाह है। सदियों से इस किले ने युद्धों और संघर्षों को देखा है। इसने मुगलों सहित कई आक्रमणकारियों को सफलतापूर्वक रोका है। किले की मजबूत दीवारें और रणनीतिक रूप से बनाए गए बुर्ज इस बात का प्रमाण हैं कि यह किला युद्ध के समय कितना अभेद्य था।
हालांकि, जैसलमेर का किला सिर्फ युद्धों और संघर्षों का ही गवाह नहीं रहा है, बल्कि यह कला, संस्कृति और व्यापार का भी केंद्र रहा है। किले के भीतर बने शानदार महल, मंदिर और हवेलियां इस बात की जीती जागती निशानियां हैं।
“जीवंत किला” के रूप में विख्यात
जैसलमेर किले की सबसे खास बात यह है कि यह आज भी एक जीवंत किला है। भारत के अन्य कई किलों के विपरीत, जैसलमेर का किला खंडहर नहीं है। लगभग 2,000 लोग अभी भी किले के भीतर ही रहते हैं। किले में दुकानें, रेस्टोरेंट, होटल और जैन मंदिर सहित 5,000 से अधिक लोगों का आना-जाना लगा रहता है। यह किला अतीत और वर्तमान का एक अनूठा संगम है, जहां इतिहास जीवंत हो उठता है।
स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना
जैसलमेर का किला न केवल अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है, बल्कि यह भारतीय स्थापत्य कला का एक अद्भुत नमूल भी है। किले का निर्माण राजपूत शैली में किया गया है, जो लाल बलुआ पत्थर से बना है। किले की भव्यता को चार गुना बढ़ा देती है। सूर्य की किरणें जब इस पत्थर पर पड़ती हैं, तो पूरा किला सुनहरा सा चमक उठता है।
राजपूत शैली की झलक
किले की वास्तुकला में राजपूती शैली की झलक स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। ऊंची और मजबूत दीवारें, छत्रियों से सुसज्जित बुर्ज और जालीदार खिड़कियां राजपूत किलों की विशिष्ट विशेषताएं हैं, जो जैसलमेर के किले में भी देखी जा सकती हैं। किले के मुख्य द्वार को “अक्षय पाट” (Akshay Pat) के नाम से जाना जाता है, जो लोहे की मजबूत जंजीरों और कांटों से सुसज्जित है। यह द्वार दुश्मनों के लिए अभेद्य माना जाता था।
जैन मंदिरों की खूबसूरती
जैसलमेर का किला जैन धर्म के अनुयायियों के लिए भी महत्वपूर्ण है।
किले के अंदर 7 जैन मंदिर स्थित हैं, जो अपनी शानदार वास्तुकला और महीन नक्काशी के लिए प्रसिद्ध हैं। इन मंदिरों का निर्माण 12वीं से 15वीं शताब्दी के बीच किया गया था। सबसे प्रसिद्ध मंदिर “मेरु तύण मंदिर” (Meru Tyn Temple) है, जिसे रावल जैसल द्वारा बनवाया गया था। इस मंदिर का निर्माण 14 सालों में पूरा हुआ था और यह भगवान आदिनाथ को समर्पित है।
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मंदिर की दीवारों और छतों पर जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों की मूर्तियां उत्कीर्ण हैं। मंदिर के अंदर की नक्काशी इतनी बारीक और जटिल है कि इसे देखकर आप अवाक् रह जाएंगे। अन्य उल्लेखनीय जैन मंदिरों में शामिल हैं – “चौबीस जैन मंदिर” (Chaubis Jain Temple), “पार्श्वनाथ मंदिर” (Parshvanath Temple) और “नेमीनाथ जी मंदिर” (Neminath Ji Temple)। ये मंदिर न केवल जैन धर्म के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि भारतीय कला और स्थापत्य का एक अद्भुत उदाहरण भी हैं।
बलुआ पत्थर की भव्यता
जैसलमेर के किले की भव्यता को और भी बढ़ाता है यहाँ इस्तेमाल किया गया बलुआ पत्थर। यह पत्थर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। जैसे-जैसे सूर्य की किरणें इस पत्थर पर पड़ती हैं, किला का रंग बदलता रहता है। सुबह के समय यह गुलाबी रंग का दिखाई देता है, जो धीरे-धीरे दिन चढ़ने के साथ गहरा होता हुआ सुनहरा हो जाता है।
शाम ढलने पर यह फिर से गुलाबी हो जाता है। यह रंगीन तमाशा पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है और जैसलमेर को “सोनार का किला” (The Golden City) का उपनाम दिलाता है। बलुआ पत्थर न केवल सुंदर दिखता है, बल्कि यह गर्मी को भी अवशोषित करने में मदद करता है, जिससे गर्म रेगिस्तानी इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए रहना आसान हो जाता है।
किले के भीतर का नजारा
जैसलमेर किले की दीवारों के भीतर एक अलग ही दुनिया बसती है। किले के अंदर घूमना इतिहास के गलियारों में सफर करने जैसा है। आइए, अब हम किले के कुछ प्रमुख दर्शनीय स्थलों की सैर करें:
चार दरवाजे
किले में प्रवेश करने के लिए चार मुख्य द्वार हैं। इन द्वारों को मजबूत लोहे की जंजीरों और कांटों से सुसज्जित किया गया है, जो दुश्मनों के लिए इन द्वारों को तोड़ना लगभग असंभव बना देता था। इन चार दरवाजों में से सबसे महत्वपूर्ण है – “अक्षय पाट” (Akshay Pat), जो किले का मुख्य द्वार है। अन्य तीन दरवाजे हैं – “हवा पोल” (Hawa Pol), ” सूर्य पोल” ( सूर्य Pol) और ” गणेश पोल” (Ganesh Pol)। ये द्वार न केवल किले की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण थे, बल्कि शहर के विभिन्न क्षेत्रों तक पहुंचने के लिए भी प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करते थे।
जैसलमेर के भव्य किले:जैसलमेर किले के अन्य आकर्षण
चाय की चुस्की लेते हुए किले की ऊंचाई से रेगिस्तान के मनोरम दृश्यों का आनंद लेने के बाद, आइए अब हम किले के अन्य प्रमुख आकर्षणों की सैर करें:
राज महल
जैसलमेर किले के अंदर स्थित राज महल, जैसलमेर के शासकों का निवास स्थान हुआ करता था। इस महल का निर्माण 12वीं शताब्दी में शुरू हुआ था और कई शताब्दियों में इसका विस्तार किया गया। महल की वास्तुकला में राजपूत और मुगल शैलियों का मिश्रण देखने को मिलता है।
महल परिसर में कई आंगन, दरबार हॉल, रानियों के कक्ष और शाही स्नानागार शामिल हैं। महल की दीवारों और छतों को सुंदर चित्रों और जटिल नक्काशियों से सजाया गया है। राज महल अब एक संग्रहालय में परिवर्तित हो चुका है, जिसमें शाही हथियार, वस्त्र, आभूषण और चित्र प्रदर्शित किए गए हैं।
शहीद चौक
जैसलमेर किले के केंद्र में स्थित “शहीद चौक” (Martyr’s Chowk) वीरता और बलिदान का प्रतीक है। यह चौक उन सैनिकों की याद में बनाया गया है जिन्होंने किले की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी। चौक के बीच में एक स्मारक बनाया गया है, जिस पर उन वीर सैनिकों के नाम अंकित हैं। शहीद चौक किले के इतिहास और वहां रहने वाले लोगों के साहस की याद दिलाता है।
शिल्प कला से सजे हवेलियां
जैसलमेर किले के अंदर कई खूबसूरत हवेलियां भी स्थित हैं। ये हवेलियां 12वीं से 15वीं शताब्दी के बीच जैसलमेर के धनी व्यापारियों द्वारा बनवाई गई थीं। हवेलियां बलुआ पत्थर से निर्मित हैं और उनकी खिड़कियों पर जाली का काम, बालकनियां और जटिल नक्काशियां उनकी सुंदरता में चार चांद लगा देती हैं। कुछ हवेलियों में शीशे का काम भी किया गया है, जो सूर्य की किरणों में चमकता रहता है। इन हवेलियों में से कुछ अब होटलों और हेरिटेज हवेली में तब्दील कर दी गई हैं, जहां पर्यटक ठहर सकते हैं और अतीत के वैभव का अनुभव कर सकते हैं।
रंग-बिरंगे बाजार
जैसलमेर किले के भीतर घूमते समय आपको रंग-बिरंगे बाजारों का भी सामना होगा। इन बाजारों में आपको स्थानीय हस्तशिल्प, क कपड़े, जूते, आभूषण और स्मृति चिन्ह मिल जाएंगे। ये बाजार न केवल खरीदारी करने के लिए बल्कि स्थानीय संस्कृति का अनुभव करने का भी एक शानदार तरीका हैं। आप यहां स्थानीय कारीगरों को उनके उत्पाद बनाते हुए देख सकते हैं और उनसे बातचीत भी कर सकते हैं।
जैन मंदिरों की शांति
जैसा कि हमने पहले बताया, जैसलमेर किले के अंदर 7 जैन मंदिर स्थित हैं। ये मंदिर अपनी शांतिपूर्ण वातावरण और शानदार वास्तुकला के लिए जाने जाते हैं। मंदिरों के अंदर का वातावरण ध्यान लगाने और आत्मिक शांति पाने के लिए उपयुक्त है। यदि आप किले की हलचल से थोड़ा दूर जाना चाहते हैं, तो इन शांत और सुंदर जैन मंदिरों में कुछ समय बिताना न भूलें।
किलों के अद्भुत नजारे
जैसलमेर किले की यात्रा किले की ऊंचाई से रेगिस्तान के मनोरम दृश्यों का आनंद लिए बिना अधूरी मानी जाएगी। किले की चारों दिशाओं से रेगिस्तान का अलग-अलग नज़ारा दिखाई देता है। सुबह के समय, जब सूर्य रेगिस्तान के ऊपर उगता है, तो रेत के टीले सुनहरे रंग में चमकते हैं। शाम के समय, रेगिस्तान गुलाबी और नारंगी रंगों के समंदर में बदल जाता है। रात के समय, आसमान तारों से जगमगा उठता है, जो रेगिस्तान के शांत वातावरण को और भी मनमोहक बना देता है।
किले की ऊंचाई से आप आसपास स्थित अन्य किलों को भी देख सकते हैं। इन किलों में से सबसे प्रमुख है – “जैनाबाद का किला” (Jaisalmer Fort)। यह किला जैसलमेर किले से थोड़ी दूरी पर स्थित है और मुगल शैली की वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण है।
किले की प्राचीर पर चढ़कर आप नीचे शहर की हलचल भी देख सकते हैं। संकरी गलियां, रंगीन घर और बाजारों की रौनक आपको रेगिस्तान के बीच बसे इस जीवंत शहर की झलक दिखाएंगे।
जैसलमेर के अन्य भव्य किले
जैसलमेर किले के अलावा, जैसलमेर में अन्य किले भी हैं, जो अपने ऐतिहासिक महत्व और स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध हैं। आइए, अब हम इन किलों के बारे में थोड़ा जानें:
जैनाबाद का किला
जैसलमेर किले से थोड़ी दूरी पर स्थित “जैनाबाद का किला” (Jaisalmer Fort) 16वीं शताब्दी में मुगल बादशाह अकबर द्वारा बनवाया गया था। यह किला मुगल शैली की वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण है। किले में एक विशाल प्रांगण, मस्जिदें, महल और बगीचे हैं। हालांकि, किला अब खंडहर अवस्था में है, लेकिन फिर भी यह मुगल साम्राज्य के वैभव का प्रमाण है।
मुगल प्रभाव
जैनाबाद का किला मुगल शैली की वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण है। इस किले में ईंटों और संगमरमर का उपयोग किया गया है, जो उस समय मुगल वास्तुकला की खासियत थी। किले में मेहराब, गुंबद और जालीदार खिड़कियां भी मुगल वास्तुकला की विशेषताएं हैं। हालांकि, किले में कुछ हिस्सों में आप राजपूत शैली की झलक भी देख सकते हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि मुगलों ने किले के निर्माण में स्थानीय शैली को भी शामिल किया था।
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शाही मकबरे
जैनाबाद के किले के परिसर में मुगल शासकों के शाही मकबरे भी स्थित हैं। ये मकबरे संगमरमर से बने हैं और जटिल नक्काशियों से सजाए गए हैं। ये मकबरे मुगल शासनकाल की शिल्प कला का एक बेहतरीन उदाहरण हैं।
गडीसर किला
जैसलमेर शहर के बाहरी इलाके में स्थित “गडीसर किला” (Gadsisar Fort) 14वीं शताब्दी में निर्मित किया गया था। यह किला थार रेगिस्तान के बीच स्थित एक कृत्रिम झील “गडीसर झील” के किनारे बनाया गया है। इस किले का मुख्य उद्देश्य झील की रक्षा करना था, जो जैसलमेर शहर के लिए पेयजल का मुख्य स्रोत था।
किले के नीचे स्थित जलाशय
जैसलमेर रेगिस्तान के बीच स्थित शहर है, जहाँ पानी का बहुत महत्व है। गडीसर झील शहर के लिए पेयजल का मुख्य स्रोत हुआ करती थी। इस झील की रक्षा के लिए ही गडीसर किले का निर्माण किया गया था। किले की दीवारें झील को घेरे हुए हैं, जो दुश्मनों को झील तक पहुंचने से रोकती थीं।
आज भी गडीसर झील जैसलमेर शहर के लोगों के लिए महत्वपूर्ण है। हालांकि अब शहर में पाइपलाइन का जाल बिछा दिया गया है, लेकिन झील का पानी अभी भी सिंचाई और अन्य कार्यों के लिए उपयोग किया जाता है। झील के किनारे बने सीढ़ीदार घाट न केवल पानी इकट्ठा करने में मदद करते थे, बल्कि लोगों के लिए स्नान करने और कपड़े धोने का स्थान भी थे। शाम के समय, झील के किनारे का वातावरण काफी शांत और सुंदर होता है। यहाँ आप स्थानीय लोगों से मिल सकते हैं और रेगिस्तानी शाम की खूबसूरती का आनंद ले सकते हैं।
पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग
गडीसर झील पक्षी प्रेमियों के लिए भी स्वर्ग है। यहाँ स्थानिक और प्रवासी पक्षियों की कई प्रजातियाँ देखी जा सकती हैं। यदि आप पक्षी देखने में रुचि रखते हैं, तो सुबह जल्दी उठकर गडीसर झील की सैर करें। आप यहाँ सारस, बगुले, हंस, बत्तख और कई अन्य पक्षियों को देख सकते हैं।
भूतों का किला
जैसलमेर में एक और किला है, जिसका नाम “भूतों का किला” (Bhootों ka Kila) है। यह किला जैसलमेर शहर से थोड़ी दूरी पर स्थित एक पहाड़ी पर बना है। हालांकि, यह किला अब खंडहर अवस्था में है।
लोककथाओं और रहस्य
भूतों का किला कई लोककथाओं और रहस्यों से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि इस किले में भूतों का वास है। स्थानीय लोगों का मानना है कि रात के समय किले से अजीब सी आवाजें आती हैं। हालांकि, इन कहानियों के पीछे कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है। यह माना जाता है कि ये कहानियां किले के खंडहर अवस्था को और रोमांचक बनाने के लिए गढ़ी गई हैं।
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भले ही भूतों की कहानियां सच हों या ना हों, लेकिन भूतों का किला जैसलमेर की यात्रा के दौरान एक रोमांचक पड़ाव हो सकता है। आप किले तक ट्रैकिंग कर सकते हैं और वहां से रेगिस्तान के मनोरम दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।
जैसलमेर किले की यात्रा की योजना बनाना
जैसलमेर किला राजस्थान की समृद्ध संस्कृति और इतिहास की झलक दिखाता है। यदि आप जैसलमेर किले की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो यहां कुछ चीजें हैं जिनका आपको ध्यान रखना चाहिए:
कब जाएं
जैसलमेर एक रेगिस्तानी शहर है, इसलिए यहां का मौसम गर्म रहता है। सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच का होता है, जब मौसम सुहाना होता है। इन महीनों में आप आराम से घूम सकते हैं और दर्शनीय स्थलों को देख सकते हैं। अप्रैल से सितंबर के महीनों में तापमान काफी बढ़ जाता है। यदि आप गर्मी सहन नहीं कर पाते हैं, तो इन महीनों में यात्रा करने से बचना चाहिए।
कैसे पहुंचे
जैसलमेर हवाई मार्ग, रेल मार्ग और सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
- हवाई मार्ग: जैसलमेर का अपना हवाई अड्डा है, जो शहर से 15 किलोमीटर दूर स्थित है। हालांकि, यहां सीमित संख्या में ही उड़ानें आती हैं। आप जोधपुर हवाई अड्डे (270 किलोमीटर) या उदयपुर हवाई अड्डे (470 किलोमीटर) तक उड़ान भर सकते हैं और फिर वहां से जैसलमेर के लिए टैक्सी या बस ले सकते हैं।
- रेल मार्ग: जैसलमेर का अपना रेलवे स्टेशन है। हालांकि, यहां सभी प्रमुख शहरों से सीधी ट्रेनें नहीं आती हैं। आप दिल्ली, मुंबई, जयपुर या जोधपुर से ट्रेन लेकर जैसलमेर पहुंच सकते हैं।
- सड़क मार्ग: जैसलमेर सड़क मार्ग से भी अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। आप दिल्ली, जयपुर, जोधपुर या बीकानेर से बस या टैक्सी लेकर जैसलमेर पहुंच सकते हैं।
कहां ठहरें
जैसलमेर किले के अंदर ही कई होटल और हेरिटेज हवेली हैं। इनमें रहने का एक अलग ही अनुभव होता है। किले के बाहर भी कई होटल और गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं। आप अपने बजट के अनुसार होटल का चुनाव कर सकते हैं।
क्या देखें और क्या करें
जैसलमेर किले के अंदर घूमने के अलावा, आप ऊंट सफारी करके रेगिस्तान का रोमांच अनुभव कर सकते हैं। शाम के समय आप “समा” का कार्यक्रम देख सकते हैं, जो संगीत और नृत्य का एक पारंपरिक प्रदर्शन है। आप जैसलमेर शहर के बाजारों में घूमकर स्थानीय हस्तशिल्प खरीद सकते हैं।
यात्रा के लिए सुझाव
- जैसलमेर में गर्मी पड़ती है, इसलिए सूती और ढके हुए कपड़े पहनकर जाएं।
- सनस्क्रीन, टोपी, चश्मा और स्कार्फ ले जाना न भूलें।
- रेगिस्तान में घूमने के लिए आरामदायक जूते पहनें।
- पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें।
- स्थानीय संस्कृति का सम्मान करें।
जैसलमेर किले की यात्रा आपको राजस्थान के इतिहास और संस्कृति से रूबरू कराएगी। यह यात्रा आपको अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करेगी।
जैसलमेर किले से परे: रेगिस्तान की संस्कृति की खोज
जैसलमेर किला निश्चित रूप से आकर्षण का केंद्र है, लेकिन जैसलमेर की यात्रा यहीं खत्म नहीं होती। रेगिस्तानी शहर जैसलमेर अपने जीवंत लोक कला, रंगीन संस्कृति और अनूठी परंपराओं के लिए भी जाना जाता है।
यदि आप किले की भव्यता से बाहर निकलकर थोड़ा और रोमांच चाहते हैं, तो आइए रेगिस्तान की संस्कृति की खोज पर निकलें:
- गाँव की सैर: रेगिस्तानी गांवों की सैर करके स्थानीय लोगों के जीवन और संस्कृति को करीब से जानें। आप ऊंट की पीठ पर सवार होकर गांवों का भ्रमण कर सकते हैं। गांवों में आप मिट्टी के बने घरों को देख सकते हैं, पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद ले सकते हैं और स्थानीय कारीगरों को उनके हस्तशिल्प बनाते हुए देख सकते हैं। रात के समय गांव के चौक में लोक नृत्य और संगीत का कार्यक्रम देखना एक यादगार अनुभव हो सकता है।
- सितारों भरा आसमान : रेगिस्तान के दूरस्थ क्षेत्रों में प्रकाश प्रदूषण कम होता है, जिससे रात का आसमान साफ और सितारों से जगमगाता हुआ दिखाई देता है। आप रेगिस्तान के शांत वातावरण में लेटकर तारों को निहार सकते हैं। यदि आप भाग्यशाली हैं, तो शूटिंग स्टार भी देख सकते हैं।
- मरु महोत्सव : फरवरी के महीने में जैसलमेर में प्रतिवर्ष मरु महोत्सव का आयोजन किया जाता है। यह तीन दिवसीय उत्सव रेगिस्तानी संस्कृति का जश्न मनाता है। इस उत्सव में ऊंट दौड़, लोक नृत्य, संगीत प्रतियोगिता, वेशभूषा प्रतियोगिता और कला प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता है। मरु महोत्सव में भाग लेना रेगिस्तानी संस्कृति का अनुभव करने का एक शानदार अवसर है।
- पारंपरिक भोजन: जैसलमेर की यात्रा अधूरी है बिना स्थानीय व्यंजनों का स्वाद लिए। रेगिस्तानी इलाके में उपलब्ध सामग्री से बने यहां के व्यंजन स्वादिष्ट और पौष्टिक होते हैं। कुछ प्रसिद्ध व्यंजनों में शामिल हैं – दाल बाटी चूरमा, केर सांगरी की सब्जी, और गट्टे का सह। आप रेगिस्तानी गांवों में या जैसलमेर शहर के रेस्टोरेंट में इन व्यंजनों का स्वाद ले सकते हैं।
- कला और हस्तशिल्प: जैसलमेर हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध है। यहां के कारीगर पीढ़ियों से लकड़ी की नक्काशी, जरी का काम, मिट्टी के बर्तन, बेमिसाल कशीदाकारी और ऊनी दुशाले बनाते आ रहे हैं। आप किले के बाजारों या जैसलमेर शहर के हस्तशिल्प केंद्रों से ये खूबसूरत हस्तशिल्प खरीद सकते हैं।
जैसलमेर किले की भव्यता के अलावा, रेगिस्तान की संस्कृति को जानने से आपकी यात्रा और भी यादगार बन जाएगी। रेगिस्तान का प्राकृतिक सौंदर्य, जीवंत लोक कला और परंपराएं आपको मंत्रमुग्ध कर देंगी।
रेगिस्तान का रोमांच: रोमांचकारी गतिविधियां
जैसलमेर सिर्फ इतिहास और संस्कृति ही नहीं, बल्कि रोमांचकारी गतिविधियों के शौकीनों के लिए भी जन्नत है। रेगिस्तान का विशाल विस्तार एडवेंचर स्पोर्ट्स और रोमांचक गतिविधियों के लिए एक आदर्श स्थान है। तो अपनी एड्रेनालाईन को गति देने के लिए तैयार हो जाइए:
- ऊंट सफारी : रेगिस्तान का अनुभव ऊंट की पीठ पर सवार होकर सबसे अच्छा प्राप्त किया जा सकता है। आप सूर्योदय या सूर्यास्त के समय ऊंट सफारी का आयोजन कर सकते हैं और रेगिस्तान के मनमोहक दृश्यों का आनंद ले सकते हैं। ऊंट सफारी आपको रेगिस्तानी गांवों तक भी ले जा सकती है, जहां आप स्थानीय लोगों से मिल सकते हैं और उनकी संस्कृति को जान सकते हैं।
- जिप ड्यून bashing (Jeep Dune Bashing): रेगिस्तान की ऊंचे रेत के टीलों के बीच जिप में सफारी करना एक रोमांचकारी अनुभव है। यह गतिविधि आपके दिल को दहला देगी और आपको रेगिस्तान के रोमांच का भरपूर आनंद देगी। हालांकि, जिप ड्यून bashing करते समय सुरक्षा का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
- पैरासेलिंग : क्या आप ऊंचाई से रेगिस्तान का नज़ारा देखना चाहते हैं? तो पैरासेलिंग आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प है। इस गतिविधि में आपको एक पैराशूट से बांधा जाएगा और फिर एक गाड़ी द्वारा ऊपर खींचा जाएगा। आप हवा में ऊंची उड़ान भरते हुए रेगिस्तान के मनोरम दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।
- क्वाड बiking (Quad Biking): रेगिस्तान की रेत पर तेज रफ्तार से दौड़ती हुई क्वाड बाइक चलाने का अनुभव अविस्मरणीय होता है। यह गतिविधि आपको रेगिस्तान के अलग-अलग क्षेत्रों को explore करने का मौका देती है।
- तारों के नीचे कैम्पिंग : रेगिस्तान के शांत वातावरण में तारों से जगमगाते आसमान के नीचे कैम्पिंग करना एक जादुई अनुभव है। आप अलाव जलाकर, लोक संगीत सुनते हुए और तारों को निहारते हुए एक शानदार शाम बिता सकते हैं।
ये कुछ रोमांचकारी गतिविधियां हैं जिनका आनंद आप जैसलमेर की यात्रा के दौरान ले सकते हैं।
जैसलमेर की खरीदारी: स्मृति चिन्ह जो कहानी बयां करते हैं
रेगिस्तान की यात्रा अधूरी है बिना कुछ खास स्मृति चिन्ह लिए। जैसलमेर की रंगीन गलियां और जीवंत बाजार हस्तशिल्प प्रेमियों के लिए स्वर्ग हैं। यहां आपको पीढ़ियों से चली आ रही शिल्प कौशल के बेहतरीन उदाहरण मिल जाएंगे। तो आइए देखें कि जैसलमेर से आप क्या खास चीजें खरीद सकते हैं:
- लकड़ी की नक्काशी : जैसलमेर में लकड़ी की नक्काशी सदियों से एक महत्वपूर्ण कला रही है। यहां के कारीगर देवताओं की मूर्तियों, जालीदार डिज़ाइन वाले फर्नीचर और सजावटी सामानों को शीशम की लकड़ी पर बारीक नक्काशी करके बनाते हैं। ये खूबसूरत नक्काशी आपके घर की शोभा बढ़ा देंगी।
- जरी का काम : जरी एक सुनहरे या चांदी के धागे से बना हुआ होता है, जिसका उपयोग कपड़ों और वस्त्रों को सजाने के लिए किया जाता है। जैसलमेर में आप जरी से सजे हुए कुर्ते, साड़ियां, शॉलें और दीवार खरीद सकते हैं। ये जरी के सामान आपके व्यक्तित्व में एक शाही स्पर्श जोड़ देंगे।
- मिट्टी के बर्तन : जैसलमेर में मिट्टी के बर्तन बनाने की परंपरा भी काफी पुरानी है। यहां के कुम्हार पीढ़ियों से मिट्टी के घड़े, मूर्तियां, दीये और सजावटी सामान बनाते आ रहे हैं। इन मिट्टी के बर्तनों पर हندसीय और पुष्प डिजाइन बनाए जाते हैं। ये खूबसूरत मिट्टी के सामान न केवल उपयोगी हैं बल्कि आपके घर की सजावट का भी एक अनूठा हिस्सा बन सकते हैं।
- कशीदाकारी : जैसलमेर की महिलाएं कई पीढ़ियों से कशीदाकारी की कला में निपुण मानी जाती हैं। वे सूती और रेशमी कपड़ों पर जटिल ज geometric और floral डिजाइन काशीदा लगाती हैं। आप यहां कुर्ते, साड़ियां, दुपट्टे और बैग पर की गई सुंदर कशीदाकारी देख सकते हैं। ये कशीदेदार कपड़े न केवल आरामदायक होते हैं बल्कि आपके व्यक्तित्व में एक पारंपरिक स्पर्श भी जोड़ते हैं।
- ऊनी दुशाले : जैसलमेर सर्दियों में काफी ठंडा हो जाता है। यहां के लोग गर्म रहने के लिए ऊनी दुशालों का इस्तेमाल करते हैं। ये दुशाले न केवल गर्म होते हैं बल्कि ज्यामितीय और वनस्पति डिजाइनों से सजाए जाते हैं जो इन्हें आकर्षक भी बनाते हैं। आप ऊनी शॉल को सर्दियों में ओढ़ने के लिए या स्टाइल स्टेटमेंट के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
जैसलमेर से खरीदारी करते समय स्थानीय कारीगरों का समर्थन करना न भूलें। इन स्मृति चिन्हों को खरीदकर आप न केवल अपने घर के लिए एक खूबसूरत यादगार ले जाते हैं बल्कि पीढ़ियों से चली आ रही शिल्पकला को भी जीवित रखते हैं।
जैसलमेर के आसपास के रत्न
जैसलमेर की यात्रा के दौरान आप आसपास के कुछ अन्य खूबसूरत स्थलों की सैर भी कर सकते हैं। ये स्थल आपको इतिहास, संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य का एक अनूठा अनुभव प्रदान करेंगे।
- कुलधरा गांव (Kuldhar Village): जैसलमेर से 18 किलोमीटर दूर स्थित “कुलधरा गांव” अपने रहस्यमय इतिहास के लिए जाना जाता है। यह गांव 19वीं शताब्दी में अचानक से खाली कर दिया गया था। गांव के खाली पड़े घरों को देखकर ऐसा लगता है कि मानो गांव वाले रातोंरात चले गए हों। कुलधरा गांव को भूतहा गांव के रूप में भी जाना जाता है। इस गांव के पीछे कई लोककथाएं प्रचलित हैं। यदि आप रहस्य और रोमांच पसंद करते हैं, तो कुलधरा गांव की सैर जरूर करें।
- लोहागढ़ का किला (Lohgarh Fort): जैसलमेर से 30 किलोमीटर दूर स्थित “लोहागढ़ का किला” मरूस्थल के बीच एक चट्टान पर बना हुआ है। यह किला 10वीं शताब्दी में बनाया गया था। हालांकि, अब यह किला खंडहर अवस्था में है। यहां से आप आसपास के रेगिस्तानी इलाकों का मनोरम दृश्य देख सकते हैं। लोहागढ़ का किला ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए भी एक आदर्श स्थान है।
- सामने वाले टीलों का राष्ट्रीय उद्यान (Desert National Park): जैसलमेर से 150 किलोमीमीटर दूर स्थित “सामने वाले टीलों का राष्ट्रीय उद्यान” भारत के सबसे बड़े राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है। यह उद्यान थार रेगिस्तान के पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करता है। यहां आप हिरण, काला हिरण, गैंडे और लुप्तप्रायः ग्रेट इंडियन बस्टर्ड जैसे जंगली जानवरों को देख सकते हैं। पक्षी देखने के शौकीनों के लिए भी यह राष्ट्रीय उद्यान स्वर्ग है। यहां आप गोडावरी, खिल्लर और चकवा जैसे स्थानिक पक्षी देख सकते हैं। यदि आप प्रकृति से प्यार करते हैं, तो सामने वाले टीलों के राष्ट्रीय उद्यान की सैर जरूर करें।
- बाड़मेर : जैसलमेर से 110 किलोमीटर दूर स्थित “बाड़मेर” शहर अपने मंदिरों और हवेलियों के लिए जाना जाता है। यहां आप 15वीं शताब्दी में बना “मेहरानगढ़ का किला” भी देख सकते हैं। बाड़मेर लोक कला और संस्कृति का भी केंद्र है। यहां आप भवाई की रोचक लोक नृत्य देख सकते हैं। यदि आप अपने जैसलमेर प्रवास में थोड़ा और इतिहास और संस्कृति जोड़ना चाहते हैं, तो बाड़मेर की सैर कर सकते हैं।
ये सिर्फ कुछ ही उदाहरण हैं। जैसलमेर के आसपास कई अन्य खूबसूरत स्थल हैं, जिनकी आप खोज कर सकते हैं। अपने बजट और समय के अनुसार आप इनमें से कुछ स्थानों को चुन सकते हैं .
जैसलमेर की यात्रा के दौरान ध्यान देने योग्य बातें
जैसलमेर की यात्रा की योजना बनाते समय, यहां कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- मौसम : जैसलमेर रेगिस्तानी शहर है, इसलिए यहां का मौसम गर्म रहता है। सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच का होता है, जब मौसम सुहाना होता है। इन महीनों में आप घूमने फिरने और दर्शनीय स्थलों को देखने में सहज महसूस करेंगे। अप्रैल से सितंबर के महीनों में तापमान काफी बढ़ जाता है। यदि आप गर्मी सहन नहीं कर पाते हैं, तो इन महीनों में यात्रा करने से बचना चाहिए।
- पहनने के लिए कपड़े : गर्मी को ध्यान में रखते हुए सूती और ढके हुए कपड़े पहनकर जाएं। धूप से बचने के लिए टोपी, चश्मा और स्कार्फ ले जाना न भूलें। रेगिस्तान में घूमने के लिए आरामदायक जूते पहनें।
- पैसा : जैसलमेर में ज्यादातर दुकानों और रेस्टोरेंट में कैश पेमेंट ही स्वीकार किया जाता है। हालांकि, कुछ बड़े होटलों और दुकानों में क्रेडिट कार्ड स्वीकार किए जा सकते हैं। यात्रा पर निकलने से पहले पर्याप्त मात्रा में कैश निकाल लेना उचित होगा।
- परिवहन : जैसलमेर शहर घूमने के लिए आप ऑटो रिक्शा या टैक्सी किराए पर ले सकते हैं। हालांकि, आसपास के गांवों और राष्ट्रीय उद्यानों तक जाने के लिए आपको टैक्सी या जिप बुक करनी पड़ सकती है।
- फोन कनेक्टिविटी : कुछ दूरदराज के क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क की समस्या हो सकती है। यह सलाह दी जाती है कि आप अपनी यात्रा से पहले अपने फोन सेवा प्रदाता से संपर्क करके रोमिंग सेवा सक्रिय करा लें।
- संस्कृति का सम्मान : जैसलमेर एक पारंपरिक शहर है। स्थानीय लोगों की संस्कृति का सम्मान करें। धार्मिक स्थलों पर जाने पर उचित पोशाक पहनें और शांत रहें।
जहाँ तक सुरक्षा का सवाल है, जैसलमेर आम तौर पर एक सुरक्षित शहर है। हालांकि, जैसा कि किसी भी यात्रा पर होता है, आपको सावधानी बरतनी चाहिए। अपने सामान का ध्यान रखें और रात में अकेले घूमने से बचें।
निष्कर्ष:
इन बातों को ध्यान में रखकर आप जैसलमेर की सुखद और यादगार यात्रा का आनंद ले सकते हैं। रेगिस्तान का आकर्षण, समृद्ध इतिहास, जीवंत संस्कृति और रोमांचकारी गतिविधियां आपको मंत्रमुग्ध कर देंगी। तो अपना बैग पैक करें और आने वाले शानदार जैसलमेर (adventure) के लिए तैयार हो जाइए!
जैसलमेर के किले को क्या कहा जाता है?
इसे “सोनार किला” या “गोल्डन फोर्ट” भी कहा जाता है, क्योंकि इसकी बलुआ पत्थर की दीवारें सूरज की रोशनी में सुनहरी चमकती हैं।
जैसलमेर के किले की विशेषताएं क्या हैं?
इसमें 99 बुर्ज, 4 प्रवेश द्वार, और कई महल, मंदिर, और हवेलियां हैं। किले की दीवारें 30 फीट ऊँची और 23 फीट चौड़ी हैं।
क्या जैसलमेर का किला भूतिया है?
कई लोग मानते हैं कि किले में भूतों का वास है। कहा जाता है कि यहाँ रात में अजीब आवाजें सुनाई देती हैं और अजीब घटनाएं घटती हैं।
जैसलमेर के किले से जुड़े कुछ प्रसिद्ध रहस्य क्या हैं?
एक प्रसिद्ध रहस्य है “महारानी ललिता की कहानी”, जिसमें कहा जाता है कि रानी ललिता को उसके पति ने एक गुप्त तहखाने में कैद कर दिया था जहाँ वह भूख और प्यास से मर गई थी।
क्या जैसलमेर के किले में कोई खजाना छिपा है?
कई लोग मानते हैं कि किले में सोने और चांदी का खजाना छिपा है।
जैसलमेर के किले का प्रवेश शुल्क क्या है?
प्रवेश शुल्क ₹50 प्रति व्यक्ति है।
जैसलमेर के किले में घूमने में कितना समय लगता है?
पूरे किले को देखने में 2-3 घंटे लग सकते हैं।
जैसलमेर के किले में क्या-क्या देखने लायक है?
आप किले की दीवारों पर घूम सकते हैं, महलों और मंदिरों की भव्यता देख सकते हैं, और शहर का मनोरम दृश्य देख सकते हैं।
क्या जैसलमेर के किले में कोई लाइट एंड साउंड शो होता है?
हाँ, हर शाम किले में एक लाइट एंड साउंड शो आयोजित किया जाता है, जो किले के इतिहास को दर्शाता है।
जैसलमेर के किले में क्या त्यौहार मनाए जाते हैं?
किले में हर साल कई त्यौहार मनाए जाते हैं, जिनमें मरु महोत्सव और जैसलमेर विरासत महोत्सव शामिल हैं।
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